कुछ कहना है ।

 आदाब ,


उम्मीद है आप लोग खैरियत से होंगे । मैं आप लोगों से पिछले दिनों से कुछ बात करना चाहती थी , लेकिन एक बड़ा मसला सामने आ खड़ा होता था । मैं जब भी किसी राइटर को अपना यह idea बताती थी कि मुझे एक खत लिखना है , वोह सब तैयार तो होते थे लेकिन आखिर में बोल देते थे कि " इंग्लिश में लिखेंगे , हमको हिंदी उर्दू लिखने की आदत नहीं रही " । 

ऐसे में बड़ी मुश्किल से यह राइटर पकड़ा है जो राज़ी हुआ है , इस खत को आप तक पहुंचाने में।

सुना है आजकल ग्लोबलाइज़ेशन ( globalisation )और ग्लोबल वार्मिंग ( global warming ) दोनों ही तेज़ी से बढ़ रहे हैं । लोग नयी नयी ज़बाने सीख रहे हैं । लेकिन इस लैंग्वेज मार्किट ( language market ) में हिंदुस्तान की ज़बाने काफी लॉस ( loss ) में चल रही है । न ज्यादा बोलने वाले ना ही बात करने वाले ।

कुछ दिनों पहले भारत की हम सब ज़बानों 
ने एक ज़ूम मीटिंग ( zoom meeting ) करी , और मुद्दा उठा कि कैसे अपनी खूबसूरत ज़बानों को ताज़ा रखें और आप तक कैसे पहुंचे । फैसला हुआ कि हम सब ज़बाने अपने - अपने लोगों को एक खत लिखेंगी ।

इस राइटर से जब बात हुई तो इस ने बताया कि आजकल लोग हमारे अल्फाज़ और अक्षर जिन्हें आप letters भी बोलते हैं , भूल चुके हैं और पढ़ने में थोड़ी तकलीफ होती है । कह रहा था " आंखों में दर्द बहुत होता है दरअसल इंग्लिश ( English ) की आदत है ना "। पर हां इसने बड़े शौक से बताया कि जब भी अपनी दिल की बात करनी हो या , या कुछ English में ना सोच सकें तब हम अपनी ही ज़बानों का इस्तमाल करते हैं , उर्दू , हिंदी , तमिल हो या कोई भी ज़बान ।

यह जानकर थोड़ी खुशी हुई कि अभी भी हम लोगों के ख्याल और सोच में जिंदा है

हम भी आपसे यही गुजारिश कर रहे हैं कि हमें आप थोड़ा समझे , दिल से लगाए , जानने की कोशिश करे उसी तरह जैसे आप इंग्लिश , फ्रेंच , जर्मन को करते हैं ।

यकीन मानिए 2-3 , languages पर command होना , दुनिया के बहुत कम देशों में देखा जाता हैं । और हम उनमें से एक है ।

जब आप कभी किसी सोशल सैटिंग मैं हमें इस्तमाल करने से थोड़ा हिचकिचाते हैं तो हमें थोड़ा बुरा लगता है । यह मत समझिएगा कि हम हिंदुस्तानी ज़बाने out of fashion हो गई है । हम तो आप से है , जितने आप fashionable उतने हम ।

तो अगर आप हमें पढ़ते हैं तो दिल से शुक्रिया , लेकिन अगर नहीं भी पढ़ते तो कोई बात नहीं , कही तो शुरुआत कर सकते हैं ना । उठाइए कोई अख़बार या कोई पुरानी किताब जो घर में रखी हो । कही महफिलों में जाएं कोई सैशन हो , या सिर्फ दोस्तों से गपशप , कोई कविता , शेर या ग़ज़लकुछ भी ऐसा जो आपको हमारी याद दिलाता रहे ।

आपकी Generation से बहुत उम्मीदें हैं।

चलिए अब यह राइटर कह रहा है कि इसके हाथ में दर्द हो गया लिखते लिखते , बहुत दिनों बाद लिख रहा है ना ।

अभी के लिए आपसे विदा लेती हूं ।

पढ़िए , बोलिए और खुश रहिए ।

आपके ख़त का इन्तज़ार रहेगा ।

अलविदा

आपकी ज़बान।

 

ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता

निदा फ़ाज़ली
 



Comments

  1. This is a beautiful creative...
    Too many memories crossed my mind while reading this...

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  2. बहुत अच्छा लगा पढ़कर :)

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